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Thursday, October 9, 2008

‘ये गम का नहीं दादा की ससम्मान विदाई का मौका है’ आईबीएन-7


क्रिकेट इतिहास में ऐसा कभी-कभार होता है कि सचिन, सौरव, द्रविड़, कुंबले और लक्ष्मण के स्तर का क्रिकेटर आता है। ये तो हम खुशनसीब थे कि ऐसे पांच क्रिकेटरों को एक दौर में साथ खेलते देख सके लेकिन इस बीच क्या ये सच नहीं कि इनकी विदाई के बाद भी भारतीय क्रिकेट को जिंदा रहना है। इसलिए युवाओं को भी मौका देना जरूरी है।
पेश हैं IBN7 के स्पोर्ट्स एडिटर अभिषेक से हुई चैट के प्रमुख अंश ( with Rishi )

Rishi:क्या अब गांगुली के निकाले जाने के बाद बाक़ी सीनियर्स को और ज़्यादा सतर्क हो जाना चाहिए या फिर उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि उनका नाम अब टीम में शायद ही नज़र आएगा, क्या इससे जूनियर खिलाड़ियों पर असर नहीं पड़ेगा?

अभिषेक दूबे: जी नहीं, सतर्क होने की कोई बात नहीं बल्कि सीनियरों को पहले दादा को जीत के साथ विदा करना चाहिए और दमदार प्रदर्शन का खुद की विदाई का भी बेहतर स्क्रिप्ट लिखने की कोशिश करनी चाहिए। टीम इंडिया के पांच महान क्रिकेटर लीजेंड हैं और अगर ये 18 साल लम्बे करियर में दबाव में आते तो लेजेंड नहीं कहलाते।

Rishi:गांगुली के साथ न्याय बिल्कुल नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि गांगुली ने दबाव में आकर ये क़दम उठाया है। उन्हें कुछ और समय खेलने का मौक़ा दिया जाना चाहिए था।

अभिषेक दूबे: सौरव के इस फैसले में दबाव एक बड़ी वजह रही और दादा ने खुद ऐसा माना है लेकिन हर बेहतरीन चीज का अंत होता है और एक यादगार करियर का अंत तो होगा ही। गावस्कर ने सही कहा था - क्रिकेट जब छोड़ें तो लोग पूछें क्यों ऐसा ना हो कि ये नौबत आ जाए कि लोग कहें कि क्यों नहीं जा रहा।

Rishi:क्या ये सही है कि किसी खिलाड़ी पर इतना ज़्यादा दबाव डाला जा जाए कि मीडिया हो या फिर क्रिकेट बोर्ड कि वो आख़िरकार मजबूर हो जाए संन्यास लेने के लिए?

अभिषेक दूबे: वक्त और दौर बदल रहा है और इसके प्रभाव हर क्षेत्र में पड़ रहा है। पहले की तुलना में लोग अब अधिक पैसा कमा रहे हैं और लोगों का लाइफस्टाइल भी पहले से बेहतर हुआ है। जैसा काम वैसा पैसा - ये अब कारपोरेट जगत का मूलमंत्र है और अब जिस तरह से क्रिकेट का व्यावसायीकरण हुआ है ये मूलमंत्र क्रिकेट पर भी हावी होता जा रहा है। क्रिकेटरो पर दबाव इसी मूलमंत्र का हिस्सा है।

Rishi:गांगुली का कहना है कि उसे आतंकवादियों की तरफ़ से धमकी भी मिली है? क्या इसके पीछे उनका क्रिकेट से मजबूरन संन्यास लेने का कारण तो नहीं है?

अभिषेक दूबे: इस बारे में मेरे पास कोई जानकारी नहीं और मैं आपके सवाल का जवाब देने के लिए सही व्यक्ति नहीं।

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